प्रत्येक समाज को एक रोललसाहबसर की आवश्यकता श्री क्षत्रिय युवक संघ संरक्षक को दी श्रद्धांजलि

 


जालौर (संजीव कुटल)


        संघ के सरंक्षक पूज्य भगवानसिंह केवल क्षत्रिय युवक संघ के मुखिया ही नहीं रहे अपितु सर्व समाज और मानव मात्र के साथ साथ भारतीय संस्कृति के लिए पुरोधा बनकर जिस प्रकार से उन्होंने एक क्षत्रिय का जन्म के अनुरूप कार्य होना चाहिए वह जीवन जिया। उन्होंने अपने व्यक्तित्व और कृतत्व से क्षत्रिय को श्रेष्ठ और आदर्श करके बताया यह बात रविवार को श्री क्षत्रिय युवक संघ द्वारा आयोजित श्रद्धांजलि सभा में वक्ताओं द्वारा श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कही गई। संघ संरक्षक एवं मार्गदर्शक के देहावसान पर उनकी स्मृति में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में शहर के सर्व समाज के सैकड़ो गणमान्य लोगों व विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी ने उनके प्रति आस्था और श्रद्धा प्रकट की। झनकार गीतमाला में रचित गीत "जलवे अनेक रण के दिखा कर चले गए......" के साथ उपस्थित सैकड़ो लोगों और स्वयंसेवकों द्वारा भगवानसिंह जी के चित्र के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित की गई। पुष्पांजलि के बाद वक्ता के रूप में रविंद्रसिंह बालावत, पुखराज पाराशर, शिक्षाविद संदीप जोशी तथा अर्जुनसिंह उज्ज्वल ने उनसे जुड़े हुए विभिन्न संस्मरण सुनाते हुए एक क्षत्रिय के जीवन के लिए आवश्यक बातें भगवानसिंह जी में पाए जाने की स्मृतियां सुनाई। कार्यक्रम में आहोर विधायक छगनसिंह राजपुरोहित ने उनके साथ बिताए हुए यादगार पलों को याद करते हुए एक तपस्वी के जीवन को समझने की आवश्यकता बताई तथा उनके दिए हुए संस्कारों को प्रकाश पुंज के रूप में अंगीकार करने की बात कही। उपस्थित सर्व समाज के लोगों ने एक ऋषि रूप में उनके आभामंडल और विशेष आकर्षण को चर्चा के दौरान साझा किया।




     कार्यक्रम के प्रारंभ में संभाग प्रमुख अर्जुनसिंह द्वारा दिव्यगत महामानव के जीवन से संबंधित परिचय प्रदान करते हुए उनका संघ प्रवेश, संस्थापक तनसिंह जी से संपर्क, विभिन्न नवाचार, संघ प्रणाली, मानवीय मूल्य और गीता के ज्ञान को जीवन में परिलक्षित के संबंध में विभिन्न जानकारी द्वारा परिचय प्रदान किया।



          कार्यक्रम के अंत में हिमानी मालपुरा द्वारा प्रार्थना के साथ मंत्र उच्चारण किया गया  उपस्थित सभी महानुभावों ने प्रत्येक समाज के लिए क्षत्रिय युवक संघ से सीख लेते हुए एक आदर्श संगठन की आवश्यकता बताई तथा संघटक और संचालक के रूप में प्रत्येक समाज के लिए एक रोलसाहबसर जैसे महामानव का होना अति आवश्यक बताया। श्रद्धांजलि के इस भावपूर्ण कार्यक्रम  में शांतिलाल दावे, वगताराम चौधरी, नारायणलाल भट्ट, अचलेश्वर आनंद, हीरसिंह राठौड़, योगेंद्रसिंह कुम्पावत, तेजकरण बालोत, वसनाराम राठौड़, जयनारायण परिहार, भंवरसिंह बालावत, गजेंद्रसिंह भूतेल,  नाथूसिंह तीखी, गणपतसिंह, रतनसिंह, लालसिंह, नरेंद्रकुमार, गोविंदसिंह, चंदनसिंह, पुखराज मेघवाल, दिनेश बारोट, बसंत सुथार, श्रवणसिंह नारनाडी, परमानंद भट्ट, गजेंद्रसिंह सिसोदिया, हरीश राणावत, सुरेश सोलंकी, अमन मेहता, विनोद आर्य, शिवदत्त, खीमसिंह राठौड़, रणसिंह, छगनलाल मीना, नाथु सोलंकी, हिमानी मालपुरा, किशोरसिंह राजपुरोहित, अनिल शर्मा, दीपेश सिद्धावत, मोहरकवर, पंकजकंवर, सरोज चौधरी, कृष्णपालसिंह, चेलाराम, लादूराम, हिम्मतखान,लालसिंह, रूपसिंह, किशनाराम, रूपेंद्रसिंह, परमवीरसिंह, अशोक गुर्जर सहित विभिन्न संगठनों के गणमान्य और सर्व समाजों से सैकड़ों शहरवासी और महिला स्वयंसेविका उपस्थिति रही। संभाग भर से उपस्थित स्वयंसेवकों ने संघ प्रमुख, मार्गदर्शक और संरक्षक के रूप में की दी हुई शिक्षा और सदाचार को ग्रहण कर सच्ची श्रद्धांजलि के लिए कर्मरत होने का  संकल्प लिया।



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