रोडला गांव के मुख्य सडक एवं गांव की गलियों पर 'आवारा पशुओं का खतरा': प्रशासन की अनदेखी से आमजन बेहाल, दुर्घटनाएं बन रही आम, दुपहिया वाहन चालक व पैदल राहगीरों को खतरा :-

 

रिपोर्ट सुरेश गर्ग रोडला



रोडला गांव के मुख्य सडक एवं गांव की गलियों पर 'आवारा पशुओं का खतरा': प्रशासन की अनदेखी से आमजन बेहाल, दुर्घटनाएं बन रही आम, दुपहिया वाहन चालक व पैदल राहगीरों को खतरा :-



जालोर जिला मुख्यालय से करीब 60किलोमीटर व उपखण्ड मुख्यालय आहोर से करीब 40किलोमीटर की दूरी पर बसा पाली जिला सीमा पर स्थित ग्राम पंचायत रोडला जो जालोर जिले की अंतिम जिला सीमा क्षेत्र की ग्रामपंचायत से जुडा गांव हैं।जालोर जिले से जुडी हुई आहोर पंचायत समिति की रोडला ग्राम पंचायत के ग्राम रोडला में इन दिनों गाँव की मुख्य सडक मार्ग रोडला फालना रोड एवं गांव की प्रमुख गलियों में जहां जहां आवारा पशुओं का जमावडा नजर आता है वही अब यह सामान्य दृश्य बन चुका हैँ, लेकिन इसके पीछे चुप्पे खतरें बेहद गंभीर हैं। ग्रामीण अंचल के क्षेत्रों में रोजाना सडकों एवं गांव की प्रमुख गलियों में घूमते एवं बैठतें इन मवेशियों के कारण राहगीरों, दुपहियां वाहन चालकों की जान पर बन आई है। वाहन चालकों के लिए सांण्डों के झगडनें से व पशुओं की वजह से दुर्घटनाओं का शिकार आमजन का होना आमबात हो गई हैं।स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि स्थानीय प्रशासन की अनदेखी से गाँव की मुख्य सडक व अंदरूनी गलियों तक हर जगह मवेशियों का जमावडा देखा जा सकता हैं, ना इन्हें हटाने की पहल हो रही हैं और नही इनके पुनर्वास या गौशाला की कोई योजना दिख  रही हैं वही ग्रामीण क्षेत्र में रात्रि के समय राहगीरों व बच्चों के लिए हमेशा खतरें की सदैव आंशका बनी रहती हैं।



ग्रामीण क्षेत्र में समस्या बडी पर ध्यान जीरों, ग्रामीण अंचल में दुर्घटनाओं का कारण बनते जा रहें मवेशी :- 

आहोर उपखण्ड क्षेत्र के ग्राम रोडला की सडकों पर बैठे ये मवेशी प्रशासन के लिए चुनौती बन चुके हैं जहां राज्य व केन्द्र सरकार द्वारा गोवंशी, पशु सेवा, गौपालन की अनेकों योजनाएं तो बनती हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही हैं। ग्रामीण अंचल में यह योजनाएं धरातल पर गौशालाओं के अभाव व इन पशुओं के लिए आखिर कब बनेगा आश्रय स्थल यह पहेली बना हुआ हैं।

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